रविवार, 6 सितंबर 2015

बालिका का परिचय - सुभद्राकुमारी चौहान

यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सोहाग की है लाली.
शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली .

दीप-शिखा है अँधेरे की, घनी घटा की उजियाली |
उषा है यह काल-भृंग की, है पतझर की हरियाली ||

सुधाधार यह नीरस दिल की, मस्ती मगन तपस्वी की |
जीवित ज्योति नष्ट नयनों की, सच्ची लगन मनस्वी की ||

बीते हुए बालपन की यह, क्रीड़ापूर्ण वाटिका है |
वही मचलना, वही किलकना,हँसती हुई नाटिका है ||

मेरा मंदिर,मेरी मसजिद, काबा काशी यह मेरी |
पूजा पाठ,ध्यान,जप,तप,है घट-घट वासी यह मेरी ||

कृष्णचन्द्र की क्रीड़ाओं को अपने आंगन में देखो |
कौशल्या के मातृ-मोद को, अपने ही मन में देखो ||

प्रभु ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास |
जीव-दया जिनवर गौतम की,आओ देखो इसके पास ||

परिचय पूछ रहे हो मुझसे, कैसे परिचय दूँ इसका |
वही जान सकता है इसको, माता का दिल है जिसका ||

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