बुधवार, 11 नवंबर 2015

ज्योति कलश छलके - नरेन्द्र शर्मा

ज्योति कलश छलके - ४ 
हुए गुलाबी, लाल सुनहरे 
रंग दल बादल के 
ज्योति कलश छलके 

घर आंगन वन उपवन उपवन 
करती ज्योति अमृत के सींचन 
मंगल घट ढल के - २ 
ज्योति कलश छलके 

पात पात बिरवा हरियाला 
धरती का मुख हुआ उजाला 
सच सपने कल के - २ 
ज्योति कलश छलके 

ऊषा ने आँचल फैलाया 
फैली सुख की शीतल छाया 
नीचे आँचल के - २ 
ज्योति कलश छलके 

ज्योति यशोदा धरती मैय्या 
नील गगन गोपाल कन्हैय्या 
श्यामल छवि झलके - २ 
ज्योति कलश छलके 

अम्बर कुमकुम कण बरसाये 
फूल पँखुड़ियों पर मुस्काये 
बिन्दु तुहिन जल के - २ 
ज्योति कलश छलके

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