बुधवार, 13 जनवरी 2016

यह तेरी सौगात नहीं - महेश चंद्र द्विवेदी

इस दिल के बुलाने पर तुम नहीं आये कोई बात नहीं
मेरे पैगाम पर हँस कर खिल्ली उड़ाई‚ कोई बात नहीं

मेरे दावतनामे को कानी आँख न देखा‚ कोई बात नहीं
मेरी शामों को वीरान–बियावान बनाया‚ कोई बात नहीं

मेरी चौखट तुम्हारे कदमों की सरहद है‚ कोई बात नहीं
मेरी मय्यत में शामिल न होने की ज़िद है‚ कोई बात नहीं

अपने ख़यालों तक में मेरा ज़िक्र न आने देना‚ कोई बात नहीं
बस आँख से ढलके आँसू के लिये न कहना‚ यह तेरी सौगात नहीं।

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