रविवार, 13 दिसंबर 2015

जिया ओ, जिया ओ जिया कुछ बोल दो - हसरत जयपुरी

जिया ओ, जिया ओ जिया कुछ बोल दो
अरे ओ, दिल का पर्दा खोल दो
जब प्यार किसी से होता है
तो दर्द सा दिल में होता है
तुम एक हसीन हो लाखों में
भला पा के तुम्हें कोई खोता है
जिया ओ जिया.....

नज़रों से कितने तीर चले
चलने दो जिगर पर झेलेंगे
इन प्यार की उजली राहों पर
हम जान की बाज़ी खेलेंगे
इन दो नैनों के सागर में
कोई दिल की नैया डुबोता है
जिया ओ जिया...

तुम भी तो इस आग में जलते हो
चेहरे से बयां हो जाता है
हर बात पे आहें भरते हो
हर बात पे दिल थर्राता है
जब दिल पे छुरियां चलती हैं
तो चैन से कोई सोता है
जिया ओ जिया...

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