रविवार, 13 दिसंबर 2015

आए बहार बन के लुभा कर चले गए - हसरत जयपुरी

आए बहार बन के लुभा कर चले गए
क्या राज़ था जो दिल में छुपा कर चले गए

कहने को वो हसीन थे आँखें थीं बेवफ़ा
दामन मेरी नज़र से बचा कर चले गए

इतना मुझे बताओ मेरे दिल की धड़कनों
वो कौन थे जो ख़्वाब दिखाकर चले गए
आए बहार बन के ...

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