गुन गुन गुन गुन करता भौंरा
उपवन उपवन जाता।
कली-कली पर, फूल फूल पर
गीत मिलन के गाता॥
रंग, रुप, गुण धर्म अलग हैं
साम्य नहीं दिख पाता।
फिर भी भौंरा फूलों के संग
कितना नेह लुटाता॥
मस्ती में डूबा सा भौंरा
जैसे सबसे कहता।
मिलकर रहना इस दुनिया में
कितना सुखमय रहता॥
आओ, सीखे भौंरे से हम
मन के भेद मिटायें।
सुखमय बने सभी का जीवन
प्रेम-सुधा बरसायें॥
उपवन उपवन जाता।
कली-कली पर, फूल फूल पर
गीत मिलन के गाता॥
रंग, रुप, गुण धर्म अलग हैं
साम्य नहीं दिख पाता।
फिर भी भौंरा फूलों के संग
कितना नेह लुटाता॥
मस्ती में डूबा सा भौंरा
जैसे सबसे कहता।
मिलकर रहना इस दुनिया में
कितना सुखमय रहता॥
आओ, सीखे भौंरे से हम
मन के भेद मिटायें।
सुखमय बने सभी का जीवन
प्रेम-सुधा बरसायें॥
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