शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

उठो लाल अब आँखे खोलो - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

उठो लाल अब आँखे खोलो 
पानी लाई हूँ मुँह धो लो |

बीती रात कमल दल फूले 
उनके ऊपर भंवरे डोले |

चिड़िया चहक उठी पेड़ पर 
बहने लगी हवा अति सुंदर |

नभ में न्यारी लाली छाई 
धरती ने प्यारी छवि पाई |

भोर हुआ सूरज उग आया 
जल में पड़ी सुनहरी छाया |

ऐसा सुंदर समय न खोओ 
मेरे प्यारे अब मत सोओ ||

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